बच्चों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से देशभर में समुदायों को किया जागरूक

देहरादून । भारत के गाँवों, छोटे शहरों और महानगरों में समुदायों को जोड़ने के उद्देश्य से, एसओएस चिल्ड्रन्स विलेजेज इंडिया के बच्चोंकृजो बाल पंचायतों का हिस्सा हैंकृने नुक्कड़ नाटकों के जरिए जागरूकता अभियान चलाया। इन नाटकों के माध्यम से बच्चों ने यह संदेश दिया कि बच्चों के सम्पूर्ण विकास में उनके माता-पिता और समुदाय की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है। यह पहल एसओएस इंडिया के फैमिली स्ट्रेंथनिंग प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समुदायों तक पहुंच बनाना और बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा देना है।
1990 के दशक से ही एफएसपी से जुड़े बच्चे अपने समुदायों में सामाजिक मुद्दों पर छोटे-छोटे नाटक प्रस्तुत करते आए हैं। 2010 से यह गतिविधि थ्ैच् का अभिन्न अंग बन चुकी है। ये नुक्कड़ नाटक एक प्रभावी और अनौपचारिक माध्यम बन गए हैं, जिनके जरिए जागरूक अभिभावकता, समुदाय की सक्रिय भागीदारी, और इन दोनों का बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव को उजागर किया जाता है। ये नाटक वयस्कों को बच्चों के लिए अधिक सहयोगात्मक और पोषणयुक्त वातावरण बनाने व उसका समर्थन करने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे बच्चों में आत्मविश्वास, जिम्मेदारी और लचीलापन विकसित होता हैकृजो कि एसओएस चिल्ड्रन्स विलेजेज इंडिया के मूल उद्देश्य से मेल खाता हैरू हर बच्चा एक सुरक्षित, स्नेहमय और सहयोगपूर्ण वातावरण में पले-बढ़े। एसओएस चिल्ड्रन्स विलेजेज इंडिया के सीईओ सुमंत कर ने कहा, “ हम मानते हैं कि जब बच्चों को स्वयं को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया जाता है, तो वे परिवर्तन के वाहक बनते हैं। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से, हमारा फैमिली स्ट्रेंथनिंग प्रोग्राम बाल पंचायतों को प्रोत्साहित कर रहा है कि वे नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से शिक्षा, बाल अधिकार, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा जैसे स्थानीय मुद्दों को रचनात्मक तरीके से उजागर करें। ये नाटक केवल प्रस्तुतियां नहीं, बल्कि भागीदारी के मंच हैं, जहाँ 10 से 17 वर्ष की उम्र के बच्चे स्क्रिप्ट से लेकर अभ्यास और प्रस्तुति तक, सभी चरणों में नेतृत्व करते हैं। बच्चे, बच्चों की आवाज बनते हैंकृऔर यह ‘पीयर-टू-पीयर’ मॉडल उनके समग्र विकास की दिशा में एक ठोस कदम है।”