मानसून सत्र प्रारंभ होने से पूर्व सुरक्षा दीवार का निर्माण ना हो पाया….

ऋषिकेश।हिमालय की गोद से निकलकर मैदानों की ओर बहती अविरल गंगा जी का पहला उपजाऊ मैदान कहलाने वाला खदरी खड़क माफ ग्राम सभा का खादर क्षेत्र अब दिन ब दिन समाप्ति की ओर है।लगभग आठ सौ बीघा क्षेत्रफल में फैला यह हर साल सौंग नदी की बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो रहा है।राज्य स्थापना के बाद वर्ष 2005-6 में तत्कालीन सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण ने अपने कार्यकाल में यहां बंगाले नाले से लेकर एचपी गैस गोदाम तक लगभग डेढ़ किमी लम्बी सुरक्षा दीवार का निर्माण करवाया था।उसके बाद यहाँ एक मीटर भी पक्के सुरक्षा निर्माण का कार्य नहीं किया गया।बीते वर्ष स्थानीय कृषक एवं जिला गंगा सुरक्षा समिति के नामित सदस्य विनोद जुगलान ने समिति की मासिक बैठक में जिलाधिकारी के समक्ष लगातार सुरक्षा दीवार निर्माण का आग्रह किया तो समिति अध्यक्ष जिलाधिकारी देहरादून के निर्देशन पर सिंचाई विभाग द्वारा तटबन्ध सुरक्षा निर्माण की एक चार करोड़ की डीपीआर साशन को प्रेषित की गयी।साथ ही सचिव आपदा प्रबंधन को विभाग की ओर से प्रभावित क्षेत्र की पीपीटी पावर पॉइन्ट प्रजेंटेशन दिखाई गई।जिसके बाद तीन करोड़ अड़सठ लाख रुपये की धनराशि साशन द्वारा सुरक्षा दीवार निर्माण के लिए स्वीकृत किये गए।साथ ही अप्रैल 2023 में एक करोड़ अड़तालीस लाख रुपये की अग्रिम धन राशि आपदा नियंत्रण के कार्यदायी सिंचाई विभाग को अवमुक्त कर दिए गए।जिलाधिकारी के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी मानसून सत्र प्रारंभ होने से पूर्व सुरक्षा दीवार का निर्माण सिर्फ इसलिए नहीं होसका कि सौंग नदी के दूसरे छोर पर राजाजी नेशनल पार्क मोतीचूर रेंज के अधिकारियों की ओर से बायीं छोर पर कार्य प्रारंभ करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।जबकि समिति सदस्य विनोद जुगलान का कहना था कि जिस स्थान पर सुरक्षा दीवार का निर्माण किया जाना था,वह क्षेत्र ग्राम सभा खदरी खड़क माफ के भुअभिलेखों में दर्ज है साथ ही उससे लगती हुई भूमि खदरी ग्राम समाज की है।बावजूद इसके पार्क प्रसाशन द्वारा समय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र न दिए जाने के कारण खदरी के किसानों की लगभग एक सौ दस बीघा और ग्राम समाज की सैकड़ों बीघा भूमि सौंग नदी की बाढ़ की भेंट चढ़ गई है।यदि स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा दोनों विभागों से समन्वन्य स्थापित कर साथ बिठाकर समय पूर्व भौतिक निरीक्षण कराया गया होता तो यह दिन देखने को नहीं मिलते।उन्होंने कहा कि तीन दिवस पूर्व भारी बाढ़ के परिणाम स्वरूप सैकड़ों बीघा भूमि बह जाने के कारण खेतों के स्थान पर नदी की धारा बहने लगी है।इससे किसानों की आर्थिकी प्रभावित होगी।उन्होंने कहा कि 18 अगस्त को समिति की मासिक बैठक में यह मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में लाया जाएगा।ग्रामीणों ने मानसून खत्म होते ही सौंग नदी बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू कराने की मांग की है।जिनमें दिनेश रतूड़ी,गिरीश रतूड़ी,सुनील रतूड़ी,खुशी राम,पूर्व सैनिक,लाखी राम रतूड़ी,पूर्व सैनिक चण्डी प्रसाद,हरेन्द्र भट्ट,दया राम गैरोला, रमेश गैरोला, दिनेश गैरोला, मोहन लाल,आनंद सेतु,उपेन्द्र रयाल,सुरेन्द्र रयाल,ओम प्रकाश, राजेश शर्मा, दिनेश जुगलान, सुदामा प्रसाद,बिंदेश्वरी देवी,सुशीला देवी,शुभभ रयाल प्रमुख हैं।