आरोग्य मंदिर से डिजिटल हेल्थ मिशन तक उत्तराखंड का ‘स्वस्थ और सशक्त राज्य’ बनने का मॉडल देश के लिए प्रेरणा

रजत जयंती वर्ष में उत्तराखंड का आरोग्य संकल्प- एफआरआई में दिखा ‘स्वस्थ भारत, समर्थ उत्तराखंड’ का विजन…..

देहरादून । देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती रजत जयंती वर्ष में उस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में आयोजित राज्य स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार की 25 वर्ष की उपलब्धियों का अवलोकन किया और उत्तराखंड के विकास मॉडल की सराहना की। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए गए ‘डिजिटल स्वास्थ्य और आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ विषय पर आधारित स्टॉल का निरीक्षण किया। उन्होंने विभागीय प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि “उत्तराखंड ने सीमित संसाधनों के बावजूद स्वास्थ्य, सेवा और जनकल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। डिजिटल तकनीक और योग के मेल से जो नया मॉडल यहां उभरा है, वह आने वाले भारत की दिशा तय करेगा।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड ने विकास के हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छुई हैं। हमने स्वास्थ्य सेवाओं को केवल उपचार तक सीमित नहीं रखा, बल्कि ‘आरोग्य से आर्य’ की भावना के साथ जनसेवा का नया अध्याय शुरू किया है। हमारा लक्ष्य है कि हर व्यक्ति स्वस्थ हो, हर गांव सशक्त हो और हर घर आरोग्यवान बने। प्रधानमंत्री के ‘स्वस्थ भारत, समर्थ भारत’ के संकल्प को हम ‘स्वस्थ उत्तराखंड, सशक्त उत्तराखंड’ के रूप में साकार कर रहे हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में डिजिटल तकनीक, योग और आयुष चिकित्सा का संगम “नए भारत के नए उत्तराखंड” की पहचान बन चुका है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि राज्य में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को तकनीक से जोड़ा गया है। अब राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डिजिटल नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। 14 हजार 500 से अधिक दूरसंचार स्वास्थ्य केंद्र (टेली-परामर्श केंद्र) सक्रिय हैं, जिनके माध्यम से पर्वतीय और सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह अपने गांव में ही मिल रही है। उन्होंने कहा कि यह पहल “डिजिटल स्वास्थ्य सबके लिए” की अवधारणा को साकार कर रही है। अब मरीजों की जांच, परामर्श और उपचार एकीकृत प्रणाली से जुड़ चुके हैं जिससे सुविधा, पारदर्शिता और त्वरितता सुनिश्चित हुई है।
राज्य के 2160 आयुष्मान आरोग्य मंदिर अब प्रतिदिन तीन से पाँच हजार नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। इन केंद्रों पर योग, आयुष उपचार, पोषण परामर्श, टीकाकरण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी सभी सेवाएँ उपलब्ध हैं। अब तक 14 लाख से अधिक महिलाओं को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य योजनाओं से लाभ मिला है। गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच, एनीमिया नियंत्रण, बच्चों का पोषण आकलन और बुजुर्गों की देखभाल जैसी सेवाएँ अब गांव स्तर पर ही उपलब्ध हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि कोई भी नागरिक स्वास्थ्य सुविधा से वंचित न रहे, चाहे वह सीमांत पहाड़ों में ही क्यों न रहता हो।
प्रदेश के 621 अस्पतालों और आरोग्य मंदिरों को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जोड़ा गया है। अब तक 22 लाख से अधिक नागरिकों के स्वास्थ्य खाते (आभा आईडी) बनाए जा चुके हैं। इसके माध्यम से मरीजों की संपूर्ण चिकित्सा जानकारी सुरक्षित रूप से डिजिटल रूप में संग्रहीत है। डॉक्टर किसी भी मरीज की जांच और उपचार का पूरा विवरण एक क्लिक में देख सकते हैं, जिससे उपचार अधिक सटीक और तेज़ हुआ है। राज्य के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में बिंदु पर जांच (पीओसीटी) तकनीक स्थापित की गई है। इन उपकरणों से रक्त शर्करा, हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, ऑक्सीजन सैचुरेशन और मूत्र की जांच कुछ ही मिनटों में हो जाती है। अब मरीजों को रिपोर्ट और इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ता। यह पहल स्वास्थ्य सेवाओं में त्वरितता और भरोसे की नई पहचान बनी है।
उत्तराखंड सरकार ने बच्चों और किशोरियों के स्वास्थ्य को लेकर अभिनव पहल की है- ‘गुबारा क्लीनिक’ (ग्लूकोज़ उपचार एवं बाल आरोग्य रक्षा अभियान)। इसके अंतर्गत स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच, रक्त शर्करा परीक्षण और पोषण परामर्श नियमित रूप से किया जा रहा है। अब तक 30 जिलों में यह अभियान सक्रिय है। इससे एनीमिया नियंत्रण, किशोर स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा बाल स्वास्थ्य हमारा भविष्य है। ‘गुबारा क्लीनिक’ बच्चों को स्वस्थ, आत्मविश्वासी और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
राज्य सरकार ने वर्ष 2047 तक के लिए डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) की रूपरेखा तैयार की है। राज्य के प्रत्येक ब्लॉक में संयुक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं, गंभीर देखभाल केंद्र और जन स्वास्थ्य इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। इनसे त्वरित जांच, आपातकालीन चिकित्सा और रोग नियंत्रण की निगरानी आसान हो सकेगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार ने बताया हमारा उद्देश्य केवल बीमारियों का उपचार नहीं, बल्कि रोगों की रोकथाम और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा है। स्वास्थ्य नीति में अब डिजिटल समावेशन को केंद्र में रखा गया है।
राज्य सरकार ने “72 घंटे स्वास्थ्य मॉडल” लागू किया है। इस मॉडल के अंतर्गत ब्लड शुगर, रक्तचाप, हीमोग्लोबिन और टीबी की जांच ग्रामीण क्षेत्रों में 72 घंटे के भीतर सुनिश्चित की जा रही है। यह पहल बीमारियों की शीघ्र पहचान और उपचार की दिशा में बड़ी सफलता साबित हो रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा “हमारा उद्देश्य है कि किसी भी नागरिक को इलाज के लिए इंतजार न करना पड़े। स्वास्थ्य सेवा अब उत्तराखंड में अधिकार नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है।”