अनुवादकों/लेखकों को ट्रांसलेशन फैलोशिप प्रदान की जाएगी

देहरादून।  न्यू इंडिया फाउंडेशन (एनआईएफने 2024 में प्रदान की जाने वाली NIF ट्रांसलेशन फैलोशिप के दूसरे दौर के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। NIF ट्रांसलेशन फैलोशिप का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में किए गए महत्वपूर्ण नॉन-फिक्शन कार्यों के अंग्रेजी अनुवाद को प्रोत्साहित करना है।

जिन दस भारतीय भाषाओं के लिए अनुवादकों से प्रस्ताव आमंत्रित किए जा रहे हैं उसमें असमियाबांग्लागुजरातीहिंदीकन्नड़मराठीमलयालमउड़ियातमिल और उर्दू शामिल हैं। फैलोशिप के प्रतिभागियों के चयन और उनके समर्थन के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक भाषा में एक भाषा विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। इस समिति में एक प्रमुख भारतीय लेखक और विद्वान को विशेषज्ञ के रूप में शामिल किया जाता है। पाठ की पसंदअनुवाद की गुणवत्ता और संपूर्ण प्रोजेक्ट प्रपोजल के आधार पर यह फैलोशिप प्रदान की जाएगी। 10 भाषाओं में से किसी भी भाषा का नॉन-फिक्शन सोर्स टेक्स्ट यदि वर्ष 1850 के बाद से भारतीय इतिहास के किसी भी सामाजिक-आर्थिक/सांस्कृतिक पहलू पर प्रकाश डालता हैतो उसका चयन किया जा सकता है। यहां शैली की कोई बाध्यता नहीं है। NIF ट्रांसलेशन फैलोशिप के लिए 1947 के बाद के भारत के अपने मिशन का विस्तार करते हुए व्यापक रूप से परिभाषित आधुनिक भारत को शामिल कर रहा है। 

फैलोशिप प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लाख रुपये का स्टायपंड प्रदान किया जाएगा। उसे यह प्रोजेक्ट महीने की अवधि में पूरा करना होगा। ऐतिहासिक भारतीय भाषा के ग्रंथों के अंग्रेजी अनुवाद पर काम करने वाले अनुवादकों/लेखकों को यह ट्रांसलेशन फैलोशिप प्रदान की जाएगी। वर्ष के अंत तकफैलोशिप पाने वालों से अनुवादित कार्यों को प्रकाशित करने की अपेक्षा की जाती हैजो उनके चुने गए प्रस्तावों का एक विस्तार होगा।

इस पहल के बारे में बात करते हुएन्यू इंडिया फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी मनीष सभरवाल ने कहा: अनुवाद फैलोशिप भारतीय भाषाओं में उपलब्ध भारतीय ज्ञान को अंग्रेजी में प्रकाशित करते हुए बड़े पाठक वर्ग तक इसे पहुंचाने का एक प्रयास है। हमारी भाषाओं में समृद्ध बौद्धिक परंपराएं हैं जिन्हें पाठकों तक सुलभ बनाया जाना चाहिए और हम इसी दिशा में प्रयास कर रहे हैं।